अखिलेश अखिल, राजनीतिक संपादक, स्वराज खबर | कश्मीर के कई कट्टरपंथी अलगाववादी नेता जांच के रडार पर आ गए हैं। हालांकि ये अभी प्रारम्भिक जांच की प्रक्रिया है लेकिन माना जा रहा है कि अगर ये जांच सही दिशा में गयी और सबूत सही पाए गए तो कश्मीर के कई अलगाववादी नेता के लिए परेशानी बढ़ सकती है और उनपर देशद्रोह का मामला भी चल सकता है। जिस तरह के सबूत राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को हाथ लगे है उससे लगता है कि जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता पाकिस्तान और वहा के आतंकवादी संगठनों के एजेंट के रूप में काम करते हैं और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
खबर के मुताविक राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने विध्वंसक गतिविधियों में कथित संलिप्तता एवं लश्कर ए तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद से फंड प्राप्त करने के आरोप में सैयद अली शाह गिलानी समेत कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच दर्ज की है। एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि प्रारम्भिक जांच में जिन अन्य लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं, उनमें नईम खान, फारूक अहमद डार उर्फ ‘बिट्टा कराटे’ और तहरीक ए हुर्रियत के गाजी जावेद बाबा शामिल हैं।
गौरतलब है कि नईम खान को टीवी पर एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों से धन प्राप्त करने की बात कथित रूप से स्वीकार करते देखा गया था। प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि अलगाववादी सुरक्षा बलों पर पथराव करने, जन संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और स्कूलों एवं अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में आग लगाने समेत कश्मीर घाटी में विध्वंसक गतिविधियां करने के लिए पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद से फंड प्राप्त कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में कश्मीर घाटी में सक्रिय अलगाववादी समूहों के नेताओं एवं एक टीवी रिपोर्टर के बीच बातचीत की रिकॉर्डिंग संबंधी समाचार का भी संज्ञान लिया गया है।
घाटी में पिछले कुछ महीनो से जिस तरह से सेना के जवानो पर हमले हो रहे हैं और युवाओं से लेकर छात्रों के बीच भारत विरोधी गतिविधियां बढ़ती जा रही है ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तान और उसके समर्थकों का इस मामले में पूरा हाथ है। जहा तक कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की बात है इस सन्दर्भ में यह कहा जा सकता है कि वे भले ही पाकिस्तानी आतंकियों से कश्मीर को अशांत कराने के लिए भले ही पैसे का लेन देन नहीं करते हों लेकिन भारत में शान्ति में खलल डालने से अलगाववादी नेता बाज नहीं आते।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की जांच किस सत्य का उदघाटन करती है इसे देखना पडेगा लेकिन इतना तो साफ़ हो गया है कि कश्मीर के लगाववादी नेता देश में रहकर देश के खिलाफ क्रियाकलाप करने से बाज नहीं आते।